तोक्यो मेट्रोपोलिटन सरकार |
चलती
हुई परछाइयाँ
एक-दूसरे
में गड्ड-मड्ड हो जाती हैं
सजे
हुए हैं सब
पब,
बाजार, वस्तुएँ और रोशनियाँ ।
हँसी
और चुप्पियाँ
साथ-साथ
चलती हुईं
यकायक
गुम हो जाती हैं।
कामनाओं
का जादू
और
कामनाओं
का व्यापार
पलते
हैं एक साथ।
नया
जनसैलाब उमड़ आता है
सड़कों
पर
फिर
शहर सोख लेता है
आदमियों
को
रोशनियाँ
भैरवी-सी जगमगाती रहती हैं।
शिंज़ुकु
एक विशिष्ट भूगोल है
आधुनिकता
का भूगोल
जहाँ
उगती थीं फसलें
तिनके
दूब और खिलती थीं कलियाँ
फूल
मंडराती
थीं तितलियाँ
वहाँ
अब उग आयी हैं
बहुमंजिला
गगनचुंबी इमारतें
अनेक।
हर
भूगोल का अपना इतिहास होता है
और
इतिहास
इतिहास
का भी तो अपना भूगोल।
शिंज़ुकु
दुनिया
के बदलते हुए भूगोल का इतिहास है
इत्तेफा़क़
है कि
बरस
रहे हैं बादल मूसलाधार
बारिश
एक भौगोलिक परिघटना
पर,
इसकी अनगिनत यादें
अनंत
इतिहास
यह
लम्हा
बन
जाता है यादगार
जबकि
सिगरेट
से निकलते हुए धुएँ
तब्दील
हो जाते हैं
चिमनियों
की शक्ल में
और
रेस्त्राओं
से उठती हुई
तड़कों
की खुशबू
मिल
जाती है एक-दूसरे में।
न
जाने क्या-क्या पक रहा है
भीतर
शिंज़ुकु
की इस शाम में।
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