19 अगस्त, 2009

बारिश में एक कविता

िसतारों-की

झिलमिलाती

दीपमालिका।

अंधेरी

सुबह का जुनून

बिखरी हुई

हवाअों का झोंका।


टप-टप बरसती बूँदें

अौर सोंधी महक

तुम्हारी

स्मृति की।


बदली अौर तारे

एक साथ

विरुद्धों का सामंजस्य

तुम

अौर

तुम्हारी याद



5 टिप्‍पणियां:

ओम आर्य ने कहा…

bahut hi sundar bhaw wali rachana ........jo dil ko chhoo gayi

जितेन्द़ भगत ने कहा…

मधुर कवि‍ता।

Unknown ने कहा…

apke jeevan me varsha ka sammohan ka mahatva ab gyat hua

अति Random ने कहा…

बारिश वाकई कई यादों को ताज़ा कर देती है

neeru ने कहा…

aap ke rachna bahut sunder hi,there is no words