मेरे स्याह अंधरों को थोड़ा उजाला दे दो।
बुझती हुई धड़कन है अपनी ज्वाला दे दो।।
सपने थे जो देखे सब के सब टूट-फूट गए
बने जो हमराही थे बीच में कहीं छूट गए
तनहा है जिंदगी कोई हम प्याला दे दो।1।मेरे...।
बुझती हुई धड़कन है अपनी ज्वाला दे दो।।
सपने थे जो देखे सब के सब टूट-फूट गए
बने जो हमराही थे बीच में कहीं छूट गए
तनहा है जिंदगी कोई हम प्याला दे दो।1।मेरे...।
मोहल्ले में अरसा हुआ है बातचीत बंद
कोशिशें की बहुत न होता कोई रजामंद
जुटे संगत ऐसी चौपाल ऐसा शिवाला दे दो।2।मेरे...।
सीधे-साधे थे जो बनते जा रहे हैं चंट
सत्ता में हैं जो बैठे बकते हैं अंट-शंट
बउ़बोले हुए हैं ये इनकी जुबां पे ताला दे दो।3।मेरे...।
मटमैला आसमां है बंजर सी क्यूँ है धरती
सूरज है धुँधला-धुँधला न कोई रोशनी जलती
रंगो की जरूरत है थोड़ा गोरा थोड़ा काला दे दो।4। मेरे...।
ब्रज सन्नाटे में है गोपियाँ भी हैं खोई खोई
न गायों की घंटियाँ मुरली जाने कहाँ सोई
बड़ी उदास है राधा उसे मोहन कृष्ण-ग्वाला दे दो।5।मेरे...।
आओ जरा बैठे कुछ नयी ताजी बात करें
हुए दिन बहुत फिर खुद से मुलाकात करें
गुम एहसासो को शब्द बड़ा भोला-भाला दे दो।6।मेरे...।
2 टिप्पणियां:
bahut bahut khubsurat get,kavita ,rachana,nazm jo bhi keh lo lajab hai.
बहुत ही सुंदर कविता है
Vineet Kumar
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