तोरि दीन्ह दॉंतन औ फोरि दीन्ह माथन
हाथन औ पैरन मरेारि ठौरि दीन्ह है।
कम करी पीटन घसीटन करी चींटन सों
परिधान डारे फारि औ उघारि करि दीन्ह है।1।
कहॉं लौ बताऊँ तुम्हे कहॉं लौ गिनाऊँ मैं
कहत शरमाऊं जो लोगन्ह ने कीन्ह है।
थोरि कही बातन औ ढेरि कही लातन सों
मूकन औ घूसन सो सब कहि दीन्ह है।2।
छोडि़ भागे मंच वे प्रपंच सब त्यागि के
जोरि हाथ ऐसे कहैं सुनों मेरे भाइयों।
झूठ काम,झूठ बानी,झूठ वादा नाहि करिहौं
सत्य कहौं शपथ लै तुम्हारे काम आइयों।
अबकी बेर छोडि देहु फेरि नाहि आइयो
आइयों तो फेरि कछु काम कर दिखाइयों।
ऐरी जनता तू ही ईश तू ही जगदीश मेरी
तेरे पाँव चाटि-चाटि तेरे गुन गाइयों।3।
जनता बोली नेता तुम सुधर नहीं जाते क्यों
बार-बार हमसे पिटन चले आते हो।
जूता खाते चप्पल खाते लात और घूसा खाते
अंडे टमाटर से नाही क्यों अघाते हो।
चालैं तेरी समझै सब नाही हैं मुरख हम
फिर काहे अण्ट-शण्ट बोलि बहकाते हो।
काम वाम नाही करते बाति हो बनाते खूब
वोट-वोट हरदम हमेशा घिघियाते हो।3।
चंडूबाज दगाबाज जाने कौन बाज तुम
बाज आओ आदत से यही समझाते हैं।
हड्डी पसली तोरि नाही एक करि दैहै हम
ऐसे पुण्य कामन में हाथ खुब बँटाते हैं।
करते हैं इशारा हम समझदार जानि पड़ौ
नाही फिर खूब हम धूल भी चटाते हैं।
आए थे पटाने तुम बात ही पलट गयी
तेरे जेसे नेता तो पिट के ही जाते हैं।4।
नेता पीटि-पीटि बने अभिनेता फिल्म के
इल्म भूलि गए वे आए किस काज थे।
हार पाए फूल पाए और सम्मान पाए
पाए नहीं कहूँ ऐसे निर्मम समाज थे।
देव सम जिनकी पूजा होती थी रोज ही
भूत सम भगाए गए अरे वे ही आज थे।
मन ही मन मन वे मसोसि रहि गए थे
ऐसे कपटी कामी कुटिल दगाबाज थे।5।
1 टिप्पणी:
वाह भाई आनंद आ गया साले आजकल के नेता ऐसे ही होते है आपने अपनी कविता मे नेताओ को अच्छा सबक सिखाया है धन्यवाद
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