अंधेरे आकाश के नीचे
तारों के साथ
लंबी बात करना
तुम्हे अच्छा लगता है अभी भी
यह जानकर सुखद आश्चर्य होता है।
जब दुनिया में घिसावट
का दौर चल रहा हो
तब तुम्हारी संवेदना बनी रहे अक्षत
इसे मैं सौभाग्य ही कहॅूगा।
पर विश्वास रखो तुम
तुम्हारा कहा ही नहीं
अनकहा भी समझ लेता हॅू मैं।
वेदना स्वत: एक संवाद है।
तुम शांति से निकल कर शोर में
गुम हो जाती हो
मैने शेार में ही अपनी शांति पा ली है।
एक दिन जब हम शांत हो जाएंगे
नहीं होंगे शिकवे-शिकायत
पर शोर मचेगा चारेां ओर
शायद
और हम रहेंगे नि:शब्द
चिर मौन।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें