अश्रु पूरित ऑखों से
हमेशा क्या सोचती रहती हो तुम
लगता है
जैसे कोई समुद्र मंथन हो रहा हो
तुम्हारे भीतर
सब कुछ कहकर भी
जैसे कुछ न कह पाने की विवशता
क्यो झलकती है
बार-बार तुम्हारे भीतर
तुम भरोसा करो
मैं बिना बोले ही तुम्हारे
जान जाता हॅू
बात की गहराई तुम्हारी ।
आसॅू अच्छे होते हैं
आत्मा को पवित्र बनाने के लिए।
इसलिए रोना आए तो रोओ
और पवित्र होओ तुम
बिना किसी संकोच के।
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