17 मई, 2009

करात साहब क्‍या हाल है।


तीसरा मोर्चा दो कैरट (प्रकाश करात और वृंदा करात) की पार्टी ही सिद्ध हुआ। जातिवादी,अवसरवादी गठजोड़ की प्रकाश करात की कोशिशें नकार दी गई हैं। जिस गैर जिम्‍मेदाराना ढंग से वे अपनी पार्टी का संचालन कर रहे थे,वह किसी पुराने जमींदार का ही स्‍टाइल था। सीपीएम के लोग चार सालों तक विभिन्‍न अकादमिक पदों, प्रशासनिक लाभों और अन्‍य प्रकार के फायदों के लिए कांग्रेस पर ब्‍लैकमेल करने की हद तक दबाव बनाते रहे। फिर जिस हड़बड़ी में परमाणु मुद्दे पर उन्‍होंने समर्थन वापस लिया,वह भी उनके खिलाफ गया । सीपीएम का सोमनाथ चटर्जी के साथ किया गया व्‍यवहार भी लोगों याद है। इसमें भी प्रकाश करात का ही निजी मानस सक्रिय था। नंदीग्राम और सिंगूर प्रसंग ने सीपीएम की जनवादी नीतियों की पोल खोल कर रख दी। देश के गिने-चुने बुद्धिजीवी और तथाकथित विचारक तीसरे मोर्चे की सरकार का दिवास्‍वप्‍न पाल बैठे थे। न कोई विचारधारा,न कॉमन कार्यक्रम फिर भी करात साहब गलबहियां डाले घूमने लगे। समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में बौद्धिक ज्‍योतिषियों के लेख छपने लगे। करात साहब कहने लगे कि मौका मिला तो पीएम का दायित्‍व भी ले लूंगा। इसी बीच सेफोलॉजी (मौसम विभाग और टोटकेबाजों के बाद इनकी दुर्गति सबसे अधिक हुई है) के विद्वान भी आ धमके और अटकलबाजी का बाजार गर्म कर और मीडिया संस्‍थानों से मोटी रकम ले,दर्शक को उल्‍लू बना चंपत हो लिए। अब जनादेश हमारे सामने है और करात की करामात,छद्म बौद्धिकें के विश्‍लेषण और सेफोलॉजी की बेवकूफियों की पोल खुल चुकी है।

यह एक बार फिर सिद्ध हुआ है कि जनता का विवेक हमेशा सर्वोपरि होता है और वह हर झांसे को नकारने में समर्थ होती हैं। आप चाहें तो मेरी चुनाव से पहले की पोस्‍ट भी पढ़ सकते हैं जिसमें इस स्थिति का संकेत मैने कर दिया था। अब हम-आप जैसे नौसीखिए ब्लागरों को यह जिम्‍मेदारी लेनी होगी की वे जनता की आहट को पाठकों के सामने लाएँ जिससे सेफोलॉजी जैसा गोरखधंधा बंद हो सके तथा पदलोलुप बुद्धिजीवी नकारे जा सकें। करात साहब को मेरी सलाह है कि वे अपनी जिम्‍मेदारी सीताराम येचुरी को दे आडवाड़ी जी के साथ हिमालय चले जाय,नहीं तो केरल सर्वोत्‍तम जगह है योग के लिए। संकट में अपने दादा सोमनाथ से सलाह लेना न भूलें।

4 टिप्‍पणियां:

अनूप शुक्ल ने कहा…

जनता का विवेक हमेशा सर्वोपरि होता है और वह हर झांसे को नकारने में समर्थ होती हैं। सहमत!

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

करात साहब तो अब टपके हैं, सीपीएम का कबाड़ा तो सरदार हरकिशनसिंह सुरजीत ही कर चुके थे। अवसरवाद और संशोधनवाद की यही परिणति होती है।

Rakesh Kumar Singh ने कहा…

शानदार! कहा गया है न 'जैसी करनी वैसी भरनी' तो भरें भाई लोग.

niranjan ने कहा…

सर सेफोलॉजी का निर्माण सेफ टू मनी अपो लोजी के लिए हुआ है | अडवाणी गी वेटिंग टिकेट कभी कांफोर्म नहीं होगा |