15 अक्तूबर, 2008

हिंदी में करियर बनाएँ

अक्सर हिंदी पढते हुए विद्यार्थियों के मन में यह बात घर कर जाती है कि हिंदी तो हम आसानी से सीख लेंगे, क्योंकि यह हमारी मातृभाषा जो है। हालांकि, हिंदी के मानक रूप को बोलने और लिखने पर एकाधिकार निरंतर अभ्यास से ही आता है। साहित्य पढने से न केवल सामाजिक बदलावों की जानकारी मिलती है, बल्कि भाषा पर अच्छी पकड बनती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि भाषा पर अधिकार हो, तो हिंदी के माध्यम से मीडिया व मनोरंजन उद्योग से जुडे किसी भी क्षेत्र में आसानी से जगह बनाई जा सकती है। साहित्य का अध्ययन करते समय निम्नलिखित बातों का अवश्य ध्यान रखें :
साहित्यिक रचना के काल-खंड को भी समझें।
ऐतिहासिक तथ्यों को रटें नहीं, उसे एक-दूसरे से जोडकर पढें।
साहित्य की विभिन्न धाराओं का तुलनात्मक अध्ययन करें।
नियमित क्लास जरूर करें
अन्य विषयों की तरह हिंदी के विद्यार्थियों के लिए भी नियमित रूप से क्लास करना जरूरी है। क्लास के बाद लेक्चर और किताबों के आधार पर नोट्स बनाएं। लगातार नोट्स बनाने से आपको बहुत कुछ याद हो सकता है। इसके साथ ही भाषा और वर्तनी संबंधी अशुद्धियां भी दूर होती रहती हैं। हिंदी ऑनर्स के विद्यार्थियों को कक्षा में इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए : साहित्य की धाराओं की मुख्य विशेषताओं को ध्यान से समझें। समझ में न आने पर प्राध्यापकों से पूछने में न झिझकें। नोट्स नियमित रूप से चेक करवाएं। इससे उसमें जो गलतियां होंगी, वह दूर होंगी।
साहित्य में क्या कहा गया है के साथ कैसे कहा गया है को भी जानना आवश्यक है।
बढाएं अपना शब्द भंडार
भाषा की अभिव्यक्ति शब्दों से होती है। आपका शब्द भंडार जितना अधिक समृद्ध होगा, आप उतनी ही सशक्त व बेहतर ढंग से अभिव्यक्ति कर पाएंगे। इसलिए शब्दकोश से हर रोज कुछ नए शब्द लेकर उनका व्यावहारिक प्रयोग करने की आदत डालें। साथ ही, अखबारों और साहित्यिक पत्रिकाओं को पढते समय भी ऐसे शब्दों पर नजर रखें।
संगोष्ठियों से बढेगा ज्ञान
भाषा और साहित्य के समकालीन स्वरूपों और नए आयामों को समझने के लिए गोष्ठियां और कार्यशालाएं बेहतर मंच प्रदान करती हैं। इनके अलावा वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेने से भी हिंदी भाषा पर आपकी पकड बेहतर होती है।
पढने के साथ लिखें भी
पाठयपुस्तकों के अलावा पत्र-पत्रिकाओं को खूब पढें और साथ में नियमित रूप से मौलिक लेखन का भी अभ्यास करें। अपने आस-पास के माहौल, समस्याओं पर लिखें। अखबार में सम्पादक के नाम पत्र कॉलमों में चिट्ठियां भेजें। छपने के बाद उन्हें पढें कि उसमें कितना संशोधन कर छापा गया है। अगर किसी पत्र-पत्रिका में आलेख भेजते हैं, तो उसके प्रकाशित होने के बाद उसे बारीकी से पढें और अपने मूल लेखन की गलतियों को समझकर उन्हें दूर करने की कोशिश करें। सहज-सरल और प्रवाहमय लिखें।


रेडियो को बनाएं दोस्त
आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले समाचारों को सुनें। शब्दों के उच्चारण पर विशेष ध्यान दें। समाचार सुनने से हिंदी के मानक व्यावहारिक शब्दों से रू-ब-रू होने में आसानी होती है। इससे आप व्यावहारिक हिंदी का प्रयोग करना भी सीखेंगे।
पढें अखबार और मैगजीन
पाठ्यपुस्तकों के साथ-साथ अखबारों और साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं से आपके ज्ञान का विस्तार होता है, इसलिए इन्हें अधिक से अधिक पढें। साहित्य अमृत, हंस, समीक्षा, कथादेश, आजकल आदि उपयोगी साहित्यिक पत्रिकाएं हैं।
क्या करें, क्या न करें
लाइब्रेरी में बैठकर पढने की आदत डालें।
हर रोज कुछ न कुछ नया और मौलिक लिखें।
लक्ष्य निर्धारण और समय प्रबंधन पर ध्यान दें।
हिंदी को लेकर मन से हीन भावना निकाल दें।
आईटी की दुनिया में भी हिंदी
हिंदी की व्यापकता को देखते हुए आज ऐसी वेबसाइटों की संख्या तेजी से बढ रही है, जिन पर आप हिंदी से संबंधित आवश्यक सामग्री खोज सकते हैं। ऐसी कुछ साइट्स के नाम इस प्रकार हैं :
http://in.jagran.yahoo.com
www.cafehindi.com
www.webduniya.com
www.prabhasakshi.com
www.anubhuti.com
www.hindimedia.blog spot.com
हिंदी को बनाएं करियर की बिंदी
दुनिया भर में बोली जाने वाली भाषाओं में हिंदी समझने और बोलने वालों की संख्या दूसरे नंबर पर है। हिंदी पढने से क्या होगा या फिर हिंदी पढकर कोई नौकरी कैसे मिलेगी ऐसी बातों को अनसुनी कर अपनी कमजोरियों को दूर करने पर ध्यान दें, तो हिंदी आपके करियर के माथे की बिंदी बन सकती है। दरअसल, आत्मविश्वास के साथ हिंदी बोलने, लिखने और समझने वाले छात्र-छात्राओं की मांग हमेशा रही है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के भीमराव अंबेडकर कॉलेज में हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ. रामप्रकाश द्विवेदी से मुनमुन प्रसाद श्रीवास्तव की बातचीत पर आधारित

साभार-जागरण जोश, 15-10-2008

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